Board Paper of Class 10 2008 Hindi Delhi(SET 1) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं –सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि यही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है तो उसका कार्य उस सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।
इस संदर्भ में गाँधीजी से उत्कृष्ट उदाहरण और किसका दिया जा सकता है, जिन्होंने अपने हर कार्य को गरिमामय मानते हुए किया। वे अपने सहयोगियों को श्रम की गरिमा की सीख दिया करते थे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय लोगों के लिए संघर्ष करते हुए उन्होंने सफाई करने जैसे कार्य को भी कभी नीचा नहीं समझा और इसी कारण स्वयं उनकी पत्नी कस्तूरबा से भी उनके मतभेद हो गए थे।
बाबा आमटे ने समाज द्वारा तिरस्कृत कुष्ठ रोगियों की सेवा में अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया। सुंदरलाल बहुगुणा ने अपने प्रसिद्ध 'चिपको आंदोलन' के माध्यम से पेड़ों को संरक्षण प्रदान किया। फ़ादर डेमियन ऑफ मोलोकाई, मार्टिन लूथर किंग और मदर टेरेसा जैसी महान आत्माओं ने इसी सत्य को ग्रहण किया। इनमें से किसी ने भी कोई सत्ता प्राप्त नहीं की, बल्कि अपने जनकल्याणकारी कार्यों से लोगों के दिलों पर शासन किया। गांधीजी का स्वतंत्रता के लिए संघर्ष उनके जीवन का एक पहलू है, किन्तु उनका मानसिक क्षितिज वास्तव में एक राष्ट्र की सीमाओं में बँधा हुआ नहीं था। उन्होंने सभी लोगों में ईश्वर के दर्शन किए। यही कारण था कि कभी किसी पंचायत तक के सदस्य नहीं बनने वाले गांधीजी की जब मृत्यु हुई तो अमेरिका का राष्ट्रध्वज भी झुका दिया गया था।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)
(ii) विभिन्न व्यवसाय करने वाले लोगों के समाज में निम्न स्तर और उच्च स्तर को किस आधार पर तय किया जाता है? (2)
(iii) एक माली अथवा सफाईकर्मी का कार्य किसी सचिव के कार्य से बेहतर कैसे माना जा सकता है? (2)
(iv) 'वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्य-प्रणाली में पारदर्शिता।'
उपर्युक्त पंक्तियों को अपने शब्दों में समझाइए। (2)
(v) उस संदर्भ का उल्लेख कीजिए जिसके कारण गांधीजी का अपनी पत्नी से मतभेद हो गया था। (1)
(vi) बाबा आमटे और सुंदरलाल बहुगुणा किन महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए जाने जाते हैं? (1)
(vii) गांधीजी की मृत्यु पर अमेरिका ने उनके सम्मान में क्या किया था और क्यों? (1)
(viii) उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए – (1)
निर्धन, उपेक्षित
(ix) उपर्युक्त गद्य-खण्ड से चुनकर तत्पुरूष समास के दो उदाहरण दीजिए। (1)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किसी एक पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
(क) साक्षी है इतिहास हमीं पहले जागे हैं,
जाग्रत सब हो रहे हमारे ही आगे हैं।
शत्रु हमारे कहाँ नहीं भय से भागे हैं?
कायरता से कहाँ प्राण हमने त्यागे हैं?
हैं हमीं प्रकम्पित कर चुके, सुरपति तक का भी ह्रदय।
फिर एक बार हे विश्व तुम, गाओ भारत की विजय।।
कहाँ प्रकाशित नहीं रहा है तेज हमारा,
दलित कर चुके शत्रु सदा हम पैरों द्वारा।
बतलाओ तुम कौन नहीं जो हमसे हारा,
पर शरणागत हुआ कहाँ कब हमें न प्यारा!
बस युद्ध-मात्र को छोड़कर कहाँ नहीं हैं हम सदय!
फिर एक बार हे विश्व तुम, गाओ भारत की विजय!(i) 'पहले जागे हैं' से क्या तात्पर्य है? (2)
(ii) 'हैं हमीं प्रकंपित कर चुके सुरपति तक का भी हृदय' – कथन से हमारी किस विशेषता का बोध होता है? (1)
(iii) उन पंक्तियों को उद्धृत कीजिए जो हमारी दयालुता और क्षमाशीलता की ओर संकेत करती हैं। (1)
(iv) भाव स्पष्ट कीजिए – 'बस युद्ध-मात्र को छोड़कर कहाँ नहीं हैं हम सदय!' (2)
(v) विश्व को भारत का जयघोष करने के लिए क्यों कहा गया है? दो कारणों का उल्लेख कीजिए। (2)
अथवा
(ख) और पैरों के तले है एक पोखर
उठ रही इसमें लहरियाँ;
नील जल में जो उगी है घास भूरी,
ले रही वह भी लहरियाँ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा,
आँख को है चकमकाता।
हैं कई पत्थर किनारे,
पी रहे चुपचाप पानी।
प्यास जाने कब बुझेगी!
चुप खड़ा बगुला,
डुबाए टाँग जल में;
देखते ही मीन चंचल –
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबाकर चोंच में –
नीचे गले के डालता है।(i) पोखर की घास लहरियाँ लेती हुई क्यों प्रतीत हो रही थी? (2)
(ii) उन पंक्तियों को उद्धृत कीजिए जिनमें चंद्रमा के प्रतिबिंब का चित्रण है। (2)
(iii) 'प्यास जाने कब बुझेगी!' – कवि को किसकी प्यास बुझने के बारे में संदेह है और क्यों? (2)
(iv) बगुले की ध्यान निंद्रा कब टूटती है और क्यों? (2)
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- Question 10
निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह
जकरी।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करूई ककरी।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।
यह तो 'सुर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।।
(i) गोपियाँ कृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' क्यों कहती हैं? (2)
(ii) गोपियों को रात-दिन किस बात की रट लगी रहती है? क्यों? (2)
(iii) गोपियों को योग कैसा लगता है और वस्तुत: उसकी आवश्यकता कैसे लोगों को है? (2)
अथवा
(ख) यश है न वैभव है, मान है न सरमाया,जितना ही दौड़ा तू, उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृग-तृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्ण है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
(i) जीवन में कवि क्या कुछ पाने के लिए दौड़ता फिरा जो उसे नहीं मिला? (2)
(ii) 'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है' द्वारा कवि जीवन की किस सच्चाई पर प्रकाश डालता है? (2)
(iii) 'मृग-तृष्णा' का आशय स्पष्ट कीजिए। यहाँ मृग-तृष्णा किसे कहा गया है? (2)
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- Question 12
निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
जिसके अरूण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में,
अनुरागिनी उषा लेती थी, निज सुहाग मधुमाया में।
उसकी स्मृति पाथेय बनी है, थके पथिक की पंथा की।
सीवन को उधेड़कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?
(i) कवि कैसा स्वप्न देखकर जाग गया? (1)
(ii)कवि ने प्रेयसी के सौंदर्य की प्रशंसा किस प्रकार की है? (1)
(iii) कविता में थका पथिक कौन है? (1)
(iv) स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है? (1)
(v) इन काव्य पंक्तियों के भाषा-सौंदर्य पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। (1)
(ख) विहँसि लखनु बोले मृदु बानी।
अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू।
चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
(i) 'विहँसि' पद के प्रयोग-सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए। 1
(ii)लक्ष्मण ने मधुर वाणी में क्या व्यंग्य किया? 1
(iii) लक्ष्मण ने परशुराम के लिए किन विशेषणों का प्रयोग किया और क्यों? 1
(iv) परशुराम का बार-बार कुल्हाड़ा दिखाना क्या व्यक्त करता है? 1
(v) भाषा-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए – 1
'चहत उड़ावन फूँकि पहारू'।
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